Friday, February 15, 2008

मेरा चाँद...

रात भर अपने चाँद
की पहरेदारी करती रही,
रात भर अपने चाँद को ,
चान्दनियों मे खोजती रही.
इस उमीद मे बैठी रही की,
सुबह होते ही,
छूट ना जाए तेरा साथ.
बस अगर चलता मेरा ,
रोक देती सारी कायानत,
और बनी रह जाती,
सारी उमर तेरे साथ.

वक़्त था भागा जा रहा उस रात,
हवा के झोंके सा सुखद एहसास ,
उमीद का दामन छूटा जा रहा था .
बस अगर चलता मेरा,
उस पल मे जी लेती ज़िंदगी सारी,
और चल देती संग तेरे साँसे मेरी...

Tuesday, February 12, 2008

'इवा'

सुंदर काया, चंचल आभा,
भोली सूरत, नटखट मन ,
तुम हो एक ऐसी चिड़िया,
बोली जिसकी शहद-सी मीठी,
प्रतिबिंब अपने पिता का,
पुलिंदा माँ के सपनो का,
सबकी उम्मीदों का सुनहरा अंबर,
तुम हो 'इवा' एक अदभुत किरण.

सपने हज़ार आँखों मे,
समाये रहते दिन रात,
जीतने की चाहत,
शिखर पे हर क्षेत्र मे,
बड़े है ख्वाब तुम्हारे,
और उफनता जुनून दिल मे,
जाना है यह मैने
तुम हो एक अदभुत किरण,
जिसको चोकलेट–आइसक्रीम बहुत है भाती.

खुशिया रहे सदा आँगन तुम्हारे,
अपने सारे रहे सदा संग तुम्हारे,
आरजू यही है मेरी आज तुम्हारे लिए…

Monday, February 11, 2008

अस्तित्व उनका…

इस सर्द सुबह को और हसीन बनाती,
इन ऑस की बूँदों मे,
खोजती रही मैं,
हर हवा के झोंके मे,
उनके अस्तित्व को,
खोजती रही,
हर मोड़ पर,
मैं अपने उनको.

विश्वास की परिभाषा वो है,
प्यार की प्रतिमा जो है,
आईने मे देखा आज,
जब खुद को,
एहसास ये गहराया है,
खोज रही थी जग मे जिसको,
रोम-रोम मे मेरे,
बसा है अस्तित्व उनका…

अधूरे ख्वाब के खातिर...

उनसे मिलना और क्षण मे बिछड़ना,
बाते करना और चुप हो जाना,
गले लगाकर दुनिया से दूर हो जाना,
बनाकर अपना खुद से पराया हो जाना,
ख्वाब संग देखकर अकेले निभाना,
अधूरे ख्वाबों की खातिर दिल का मचलना,
उस घरौंदें के बारे मे सोचना,
और रेत-सा बिखरते देखना,
नसीब यही है मेरे प्यार का,
साथ रहते हुए भी
मिलकर कभी ना मिलना…

Sunday, February 10, 2008

" क्यूं "

किया मैंने इश्क जिससे,
माना मैंने अपना जिसको,
देखा ख्वाबो में हरपल जिसको,
किया न्योछावर सबकुछ जिसपर,
क्यूँ छोड़ गया ऐसे मुझको?
थी कमी कुछ मुझेमे शायद!
या थी उसकी बातें छलावा.
सोचती हूँ
शायद ........
दे ना सकी मैं
वो सब,
ज़िनकी थी उसको
अनकही चाहत.

Saturday, February 9, 2008

"ओस की बून्द मैं "

शीत लहर में आने वाली,
प्रातः की स्वर्णिम धुप,
जैसे प्यार तुम्हारा
और ओस की बून्द मैं.
यह सोचती हूँ मैं
दुनिया की दुपहरी मे,
खो न जाये चाहत मेरी,
यही सोच कर डरती हूँ.