tag:blogger.com,1999:blog-26954382522046288032024-03-08T03:57:58.303-08:00दिल से निकली बयार....The copyright of the poems on this blog is with Ms.Neelima Gujarkar, the author's permission has to be taken for its publication or regeneration in electronic or any other form.Neelima Ghttp://www.blogger.com/profile/08896254791433303381noreply@blogger.comBlogger18125tag:blogger.com,1999:blog-2695438252204628803.post-70387975043450292272010-06-24T22:34:00.000-07:002010-06-25T04:02:40.580-07:00जीवन<div>समय बीतता जाता है,</div><div>लोग बदलते रहते है,</div><div>नहीं बदलता,</div><div>वो जीवन है.</div><div><br /></div><div>खुशियाँ और गम </div><div>दो पहलु है</div><div>जीवन रुपी सिक्के के.</div><div><br /></div><div>विचलित ना हो </div><div>समय के फेर से </div><div>ऐसा नहीं मानव </div><div>इस धरा पर. </div><div><br /></div><div>फिर भी </div><div>जिसने ढाल लिया </div><div>अपने को</div><div>जीने की कला में, </div><div>उसका जीवन ही जीवन है. </div><div><br /></div><div>नीलिमा </div>Neelima Ghttp://www.blogger.com/profile/08896254791433303381noreply@blogger.com7tag:blogger.com,1999:blog-2695438252204628803.post-80094521653784119102010-03-18T08:09:00.000-07:002010-03-18T08:12:11.285-07:00ज़िन्दगी का सफ़र...ज़िन्दगी एक लम्बा सफ़र है,<br />यहाँ हर मुसाफिर एक दुसरे से अलग है,<br />फिर भी कुछ तो ऐसा है<br />जो सबको इश्वर से जोड़ता है...<br /><br />मिल जाते है अनजाने लोग,<br />जुड़ जाते है दिल के रिश्ते,<br />उम्र भर निभाने का वादा करके,<br />कुछ फिर अनजाने हो जाते है...<br /><br />लेकिन कुछ मुसाफिर ऐसे भी होते है,<br />दिल को सहेजते है अपना समझकर,<br />प्यार भरे उस एक रिश्ते को,<br />जीवन की डोर से बांधकर,<br />निभाते है अपनी अंतिम सांस तक...<br /><br />नीलिमाNeelima Ghttp://www.blogger.com/profile/08896254791433303381noreply@blogger.com11tag:blogger.com,1999:blog-2695438252204628803.post-56018154231043564832009-04-07T09:11:00.000-07:002009-04-07T09:25:12.696-07:00यादों का संसार!!!यादें<br />ख़ुशी और गम में<br />कहाँ फ़र्क कर पाती है.<br />जब तुम्हे यादों में पाती हूँ<br />दुनिया भूल जाती हूँ.<br />संग तुम्हारे हजारों सपने<br />आँखों में सजा लेती हूँ<br />तुम्हारे संग बिताया<br />हर एक लम्हा<br />यादों में बसा है<br />जैसे साँसों में बसा<br />हो जीवन...<br />तुमसे मिलकर<br />जाना मैंने क्या होता है<br />दिलों का धडकना<br />समझा मैंने किसे<br />कहते है समर्पण.<br />आभारी हूँ तुम्हारी<br />जताया अपना प्यार<br />बनाया मुझे अपना<br />और पनपने दिया हमारी<br />यादों का संसार...<br /><br />नीलिमाNeelima Ghttp://www.blogger.com/profile/08896254791433303381noreply@blogger.com11tag:blogger.com,1999:blog-2695438252204628803.post-39303996757033164502009-01-06T06:21:00.000-08:002009-01-06T06:24:02.500-08:00मेरी उड़ानसोचती हूँ<br />मैं भी<br />उड़कर देखूं<br />उस नील गगन में<br />उम्मीद के पंख<br />लगाकर<br />सुनहरे सपने<br />आँखों में सजाये<br />क्या तुम<br />दोगे साथ मेरा<br />उस उड़ान में....Neelima Ghttp://www.blogger.com/profile/08896254791433303381noreply@blogger.com18tag:blogger.com,1999:blog-2695438252204628803.post-90904411987094131532008-11-29T07:13:00.000-08:002008-11-29T07:18:53.025-08:00मेरा शीशमहलकांच का महल एक<br />सजाया था मैंने,<br />उमीदों के पंख लगा कर<br />करती रही सवारी<br />उस नीलगगन की.<br /><br />बस एक<br />यथार्थ के झोंके ने<br />तोड़ दिया<br />मेरा शीश महल.<br /><br />कैसे गयी थी मैं भूल,<br />एक लड़की को<br />नहीं आज़ादी<br />अपने लिए<br />कुछ सोचने समझने की,<br />क्यूँ नहीं था<br />याद मुझे<br />कितना जरुरी है<br />बने रहना धरातल पे. <br /><br />गलती थी मेरी<br />शायद!<br />इसीलिए भोग रही हूँ<br />इस पीडा को,<br />सपनों के शीश महल के<br />अवशेष खोज रही हूँ<br />तस्वीरों में.<br /><br />इतना सब<br />होने पर भी<br />सपने तो पीछा<br />नहीं छोड़ते<br />उमीदों भरे बादल<br />उस गगन का<br />आँचल नहीं छोड़ते...<br /><br />नीलिमाNeelima Ghttp://www.blogger.com/profile/08896254791433303381noreply@blogger.com10tag:blogger.com,1999:blog-2695438252204628803.post-37245059713912529702008-11-12T21:50:00.000-08:002008-11-12T22:02:00.536-08:00हर गुजरती शाम के साथ...चकित<br />विस्मित<br />भ्रमित<br />हो जाती हूँ मैं<br />देखकर अपने मोहन का<br />नया रूप हर दिन!!!<br /><br />सोचती हूँ<br /><span class="">कैसे होते</span> मेरे <span class=""> दिन</span><br /><span class=""></span>अगर ना मिलता <span class=""> मुझे</span><br />साथ मेरे मोहन का?<br /><br />जाते हर लम्हे के<br />संग बढ़ता जाता है<br />ये सम्मोहन<br />मिलने बिछड़ने का<br />ये अद्भुत अनोखा चक्र.<br /><br />उम्मीद<br />नाउम्मीदी<br />के बीच<br /><span class="">पसरी हुई<br />एक ज़िन्दगी</span><br />बदलती तस्वीर<br />हर सुबह के साथ<br /><span class=""></span><br />लेकिन बढता ही<br /><span class="">जाता है</span><br />मेरा प्यार<br /><span class="">अपने मोहन के लिए</span><br /><span class="">हर गुजरती शाम</span><br /><span class="">के साथ...<br /><br /></span><span class=""></span>Neelima Ghttp://www.blogger.com/profile/08896254791433303381noreply@blogger.com5tag:blogger.com,1999:blog-2695438252204628803.post-84206890760148635292008-09-30T00:26:00.000-07:002008-09-30T00:37:22.390-07:00"और एक सुबह "सुबह उठते ही,<br />याद उसकी घेर लेती है मुझे,<br />भर जाता है दामन,<br />मेरा खुशियों के मोती से.<br /><br />एक उम्मीद ,एक नशा<br />एक ख्वाब मरीचिका-सा,<br />और मैं कस्तूरी<span class=""> हिरन </span><br /><span class="">जीती </span>हूँ उसमे,<br />उन वाष्पित क्षणों को<br />यादों में संजोये.<br /><br />उन पलों की<br />खुशियों को फिर से जगाने,<br />काश से शुरू होती<span class=""> है</span><br /><span class=""></span>मेरी हर सुबह,<br />बलवती होती<br /> मिलन की अभिलाषा,<br />और उमीदों का दामन थामे,<br />तय करती हूँ मैं<br />अपना एक और दिन,<br />सोचती हूँ<br />कभी तो आएगा<br />वो मेरा प्रीतम...<br /><br />नीलिमाNeelima Ghttp://www.blogger.com/profile/08896254791433303381noreply@blogger.com6tag:blogger.com,1999:blog-2695438252204628803.post-1570481180116768512008-07-18T08:54:00.000-07:002008-07-18T08:57:33.098-07:00मेरा भगवन...This poem was written by me when i was undergoing a phase of disappointment and unhappiness in my life. But i had this intution that whatever is happening is happening for my betterment only.<br /><span class=""></span><br />भाग्य बड़ा प्रबल है,<br />मन में अंतर्द्वंद है;<br />क्यूँ बनाया तू ने यह भरम है,<br />क्यूँ तेरे हर जगह होने का वहम है?<br /><br /><br />जब टूटे मेरे सपने,<br /><br />रूठ रहे मेरे अपने,<br />आशा का कोई अस्तित्व नहीं ,<br />तेरे होने का कोई संकेत नहीं ,<br /><br />क्यूँ नहीं आ जाता है तू?<br />मुझे दुःख से उबारने,<br /><br />मुझे मेरी ही नजरो में उठाने !<br /><br />विश्वास अभी भी मेरा अटल है,<br />आएगा तू एक दिन मेरे लिए,<br />देखेगी यह दुनिया सारी.<br /><br />कितना बलवान,<br />सुंदर,<br />शीतल,<br />मेरा भगवन है...<br /><br />NeelimaNeelima Ghttp://www.blogger.com/profile/08896254791433303381noreply@blogger.com10tag:blogger.com,1999:blog-2695438252204628803.post-63800373554584059222008-06-09T08:28:00.000-07:002008-06-09T08:34:49.186-07:00वो मीरा थी...People say lots of things about Meera Bai, but in reality she was the one who loved Krishna without any expectation and wordly inclinations. Here i have written a poem to show the feelings of meera bai in this poem.<br /><br /><br />इन्तज़ार बहुत था<br />उनके आने का ,<br />पर उम्मीद नहीं.<br /><div><br />लेकिन<br />जिसने नहीं छोडा साथ<br />कान्हा का,<br />जिसने हर पल किया<br />उसको याद ,<br />वो मीरा थी...<br /><br /></div>वादे तो सब करते है<br />साथ जीने- मरने के ,<br /><div>बिरले होते है जो<br />नहीं करते बात<br />साथ रहने की.<br /><br />लेकिन<br /></div><div>दूर होते हुए भी<br /></div>जिसने<br />कान्हा से निभाया<br /><div>वो मीरा थी...<br /><br />मैं कब कहती हूँ<br />मिलता है सबको<br />सब कुछ यहाँ,<br /></div>जिसने माना<br />एक कान्हा को<br />हक़ से अपना,<br />जो प्यार को<br />पूजा कहती थी<br />वो एक मीरा थी...Neelima Ghttp://www.blogger.com/profile/08896254791433303381noreply@blogger.com19tag:blogger.com,1999:blog-2695438252204628803.post-42366097971249294802008-05-31T04:49:00.000-07:002008-05-31T04:50:19.862-07:00इश्क...इश्क कहाँ कम है इबादत से दोस्तों,<br />इश्क तो जुड़ा है हर मज़हब से दोस्तों,<br />जिसने पैदा किया हीर - रांझे को,<br /> जिसने रची है यह कायनात,<br />जिसने बनाया है मुझको, तुमको,<br />जिसने बनाया है इश्क को, नफ़रत को,<br />उसी अल्लाह की इबादत है इश्क दोस्तों...Neelima Ghttp://www.blogger.com/profile/08896254791433303381noreply@blogger.com10tag:blogger.com,1999:blog-2695438252204628803.post-15834148399980767812008-04-21T01:20:00.000-07:002008-04-21T01:23:21.989-07:00एक एहसास<div class="Ih2E3d">एक एहसास जो दिल में है,<br /></div>एक ख्वाहिश ना जाने कब से है?<br />एक अरमान पूरा हुआ-सा लगता है,<br />फिर ये अभिलाषा क्यूँ हरपल है?<br />उम्मीद का दामन छुटता ही नहीं<br />आशाओ का दीपक बुझता ही नहीं ,<br />यह अजनबी नशा नया नवेला ,<br />जिसमे कोई बहकता ही नहीं ,<br />होश का दामन थामे बेहोश इंसान रहता है,<br />और दुनियावालों को मदहोश-सा लगता है,<br /><div class="Ih2E3d">हाल यह तब होता है,<br /></div>इश्क जब परवान चढ़ता है.<br /><br />इस मर्ज की न कोई दवा है,<br /><div class="Ih2E3d">बेकार इसपर सारी दुआ है,<br /></div>एक ही उपाय काम करता है,<br />उसका अक्स दिल मे बसता है,<br /><div class="Ih2E3d">हाल होता है ऐसा सबका,<br /></div>इश्क जब परवान चढ़ता है...Neelima Ghttp://www.blogger.com/profile/08896254791433303381noreply@blogger.com14tag:blogger.com,1999:blog-2695438252204628803.post-5094602601862483382008-03-04T02:16:00.000-08:002008-04-02T21:50:24.076-07:00बेटियाँ...बेटियाँ को क्यूँ ऐसा बनाया विधाता तूने,<br />जहाँ जाती है दुनिया रंगीन बनाती है,<br />बचपन मे बाबुल के आँगन की रौनक,<br />जवानी मे साजन के घर की इबारत,<br />और बुढ़ापे मे बच्चों के जीवन का आधार.<br />इतना सहनशील क्यूँ बनाया बेटियाँ को विधाता तूने,<br /> सहती है सारी बंदिशे- परिवार की रंजिशे;<br />उमीद की जाती है सारा बोझ उठाने की,<br /> फुर्सत नही दी जाती है उन्हे उफ़ तक करने की,<br />इस पर भी मॅन नही भरा विधाता तेरा,<br />जो बनाया बेटियाँ को बेटियो का दुश्मन तूने???Neelima Ghttp://www.blogger.com/profile/08896254791433303381noreply@blogger.com7tag:blogger.com,1999:blog-2695438252204628803.post-11502609314676757012008-02-15T23:26:00.000-08:002008-04-02T21:55:21.759-07:00मेरा चाँद...रात भर अपने चाँद<br />की पहरेदारी करती रही,<br />रात भर अपने चाँद को ,<br />चान्दनियों मे खोजती रही. <br />इस उमीद मे बैठी रही की, <br />सुबह होते ही,<br />छूट ना जाए तेरा साथ.<br />बस अगर चलता मेरा ,<br />रोक देती सारी कायानत, <br />और बनी रह जाती, <br />सारी उमर तेरे साथ.<br /><br />वक़्त था भागा जा रहा उस रात,<br />हवा के झोंके सा सुखद एहसास ,<br />उमीद का दामन छूटा जा रहा था . <br />बस अगर चलता मेरा,<br />उस पल मे जी लेती ज़िंदगी सारी,<br />और चल देती संग तेरे साँसे मेरी...Neelima Ghttp://www.blogger.com/profile/08896254791433303381noreply@blogger.com7tag:blogger.com,1999:blog-2695438252204628803.post-9003751636899108732008-02-12T00:22:00.000-08:002008-02-12T00:24:41.064-08:00'इवा'सुंदर काया, चंचल आभा,<br />भोली सूरत, नटखट मन ,<br />तुम हो एक ऐसी चिड़िया,<br />बोली जिसकी शहद-सी मीठी,<br />प्रतिबिंब अपने पिता का,<br />पुलिंदा माँ के सपनो का,<br />सबकी उम्मीदों का सुनहरा अंबर,<br />तुम हो 'इवा' एक अदभुत किरण.<br /><br />सपने हज़ार आँखों मे,<br />समाये रहते दिन रात,<br />जीतने की चाहत,<br />शिखर पे हर क्षेत्र मे,<br />बड़े है ख्वाब तुम्हारे,<br />और उफनता जुनून दिल मे,<br />जाना है यह मैने<br />तुम हो एक अदभुत किरण,<br />जिसको चोकलेट–आइसक्रीम बहुत है भाती.<br /><br />खुशिया रहे सदा आँगन तुम्हारे,<br />अपने सारे रहे सदा संग तुम्हारे,<br />आरजू यही है मेरी आज तुम्हारे लिए…Neelima Ghttp://www.blogger.com/profile/08896254791433303381noreply@blogger.com4tag:blogger.com,1999:blog-2695438252204628803.post-80805964852573637662008-02-11T23:48:00.000-08:002008-02-12T05:17:51.553-08:00अस्तित्व उनका…इस सर्द सुबह को और हसीन बनाती,<br />इन ऑस की बूँदों मे,<br />खोजती रही मैं,<br />हर हवा के झोंके मे,<br />उनके अस्तित्व को,<br />खोजती रही,<br />हर मोड़ पर,<br />मैं अपने उनको.<br /><br />विश्वास की परिभाषा वो है,<br />प्यार की प्रतिमा जो है,<br />आईने मे देखा आज,<br />जब खुद को,<br />एहसास ये गहराया है,<br />खोज रही थी जग मे जिसको,<br />रोम-रोम मे मेरे,<br />बसा है अस्तित्व उनका…Neelima Ghttp://www.blogger.com/profile/08896254791433303381noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-2695438252204628803.post-15975916951107607692008-02-11T00:28:00.000-08:002008-02-11T05:49:32.304-08:00अधूरे ख्वाब के खातिर...उनसे मिलना और क्षण मे बिछड़ना,<br />बाते करना और चुप हो जाना,<br />गले लगाकर दुनिया से दूर हो जाना,<br />बनाकर अपना खुद से पराया हो जाना,<br />ख्वाब संग देखकर अकेले निभाना,<br />अधूरे ख्वाबों की खातिर दिल का मचलना,<br />उस घरौंदें के बारे मे सोचना,<br />और रेत-सा बिखरते देखना,<br />नसीब यही है मेरे प्यार का,<br />साथ रहते हुए भी<br />मिलकर कभी ना मिलना…Neelima Ghttp://www.blogger.com/profile/08896254791433303381noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-2695438252204628803.post-66802759142170637922008-02-10T09:24:00.000-08:002008-02-10T09:44:03.211-08:00" क्यूं "किया मैंने इश्क जिससे,<br />माना मैंने अपना जिसको,<br />देखा ख्वाबो में हरपल जिसको,<br />किया न्योछावर सबकुछ जिसपर,<br />क्यूँ छोड़ गया ऐसे मुझको?<br />थी कमी कुछ मुझेमे शायद!<br />या थी उसकी बातें छलावा.<br />सोचती हूँ<br />शायद ........<br /> दे ना सकी मैं<br /> वो सब,<br /> ज़िनकी थी उसको<br />अनकही चाहत.Neelima Ghttp://www.blogger.com/profile/08896254791433303381noreply@blogger.com4tag:blogger.com,1999:blog-2695438252204628803.post-46075228554734229942008-02-09T22:14:00.000-08:002008-02-10T05:39:19.991-08:00"ओस की बून्द मैं "शीत लहर में आने वाली,<br />प्रातः की स्वर्णिम धुप,<br /> जैसे प्यार तुम्हारा<br />और ओस की बून्द मैं.<br />यह सोचती हूँ मैं<br />दुनिया की दुपहरी मे,<br /> खो न जाये चाहत मेरी,<br />यही सोच कर डरती हूँ.Neelima Ghttp://www.blogger.com/profile/08896254791433303381noreply@blogger.com3