Saturday, November 29, 2008

मेरा शीशमहल

कांच का महल एक
सजाया था मैंने,
उमीदों के पंख लगा कर
करती रही सवारी
उस नीलगगन की.

बस एक
यथार्थ के झोंके ने
तोड़ दिया
मेरा शीश महल.

कैसे गयी थी मैं भूल,
एक लड़की को
नहीं आज़ादी
अपने लिए
कुछ सोचने समझने की,
क्यूँ नहीं था
याद मुझे
कितना जरुरी है
बने रहना धरातल पे.

गलती थी मेरी
शायद!
इसीलिए भोग रही हूँ
इस पीडा को,
सपनों के शीश महल के
अवशेष खोज रही हूँ
तस्वीरों में.

इतना सब
होने पर भी
सपने तो पीछा
नहीं छोड़ते
उमीदों भरे बादल
उस गगन का
आँचल नहीं छोड़ते...

नीलिमा

10 comments:

Maneesh said...

Neelima its a very beautiful. Ur poem jst nt expression of ur feelings bt also an expression of a mass who are not having beautiful words like u have to express themselves. A very truthful poem. Keep it up buddy

Amit K Sagar said...

उम्दा और खूबसूरत. जारी रहें. शुभकामनाएं.

Girish Kumar Billore said...

Wah kya bat hai
कैसे गयी थी मैं भूल,
एक लड़की को
नहीं आज़ादी
अपने लिए
कुछ सोचने समझने की,

Kishu said...

Vey baadal hi kya jinhe bas barasne ki aas hai..
vey kanth hi kya jinhe bas pyaas hai..ek os ki boond jo mere naino pe gire ki .....main bas sonch na paya...
kya..Hoti pyaas hai.. !
I believe optimism is what omnipresent despite of all odds..
Tiwary

डाॅ रामजी गिरि said...

आपकी इस रचना के सम्मान में अमृता प्रीतम की कुछ अनमोल पंक्तियाँ उद्धृत करना चाहूँगा--

"कुछ पल ऐसे भी होते है ,जो भविष्य से टूटे हुए होते है,फिर भी सांसो में बस जाते हैं....."

"अगर मेरे भाग्य में कोई किनारा नहीं ,तो मुझे स्वयं को इस समुन्दर को सौंप देना चाहिए.... "

"शायद कुछ विश्वास ऐसे होते हैं ,जिन्हें चुप की ज़रुरत होती है.."

"उसकी जिंदगी के कितने ही "क्यों" उसके मन के समुद्र के तट पर इन पाम के पेडों की तरह उगे हुए हैं ..."

"यह मेरी जिंदगी की सड़क कैसी है ,जिसके सारे मील के पत्थर हादसों से बने हुए हैं".....

Anonymous said...

gud conversion of reality into thoughts......
aakhir behan kis ki ho?
keep it up....

tarun said...

kuch logo ka kehna ka andaz khubsurat hota hai .. aapka bhi hai
-tarun

Unknown said...

I have similar opinion as of others. regarding you converting realty into wonderful poetry..bahut hi gehre vicharon ko vyakt kiya hai is kavita mein..insaan ko sochne pe par majboor karde..itni achchi hai aapkikavita...dheere dheere paripakv ho rahi hai aap..

shubhekshak...

रश्मि प्रभा... said...

sheeshmahal ke sapne barkaraar rahe,sapnon ka dharatal ishwar aapke naam kar jaye aur dard sapno ki duniya me chhu mantar ho jaye........aur ladki hone par garv ho

vps3361 said...

very nice effort........