Friday, July 18, 2008

मेरा भगवन...

This poem was written by me when i was undergoing a phase of disappointment and unhappiness in my life. But i had this intution that whatever is happening is happening for my betterment only.

भाग्य बड़ा प्रबल है,
मन में अंतर्द्वंद है;
क्यूँ बनाया तू ने यह भरम है,
क्यूँ तेरे हर जगह होने का वहम है?


जब टूटे मेरे सपने,

रूठ रहे मेरे अपने,
आशा का कोई अस्तित्व नहीं ,
तेरे होने का कोई संकेत नहीं ,

क्यूँ नहीं आ जाता है तू?
मुझे दुःख से उबारने,

मुझे मेरी ही नजरो में उठाने !

विश्वास अभी भी मेरा अटल है,
आएगा तू एक दिन मेरे लिए,
देखेगी यह दुनिया सारी.

कितना बलवान,
सुंदर,
शीतल,
मेरा भगवन है...

Neelima