Monday, June 9, 2008

वो मीरा थी...

People say lots of things about Meera Bai, but in reality she was the one who loved Krishna without any expectation and wordly inclinations. Here i have written a poem to show the feelings of meera bai in this poem.


इन्तज़ार बहुत था
उनके आने का ,
पर उम्मीद नहीं.

लेकिन
जिसने नहीं छोडा साथ
कान्हा का,
जिसने हर पल किया
उसको याद ,
वो मीरा थी...

वादे तो सब करते है
साथ जीने- मरने के ,
बिरले होते है जो
नहीं करते बात
साथ रहने की.

लेकिन
दूर होते हुए भी
जिसने
कान्हा से निभाया
वो मीरा थी...

मैं कब कहती हूँ
मिलता है सबको
सब कुछ यहाँ,
जिसने माना
एक कान्हा को
हक़ से अपना,
जो प्यार को
पूजा कहती थी
वो एक मीरा थी...