Monday, June 9, 2008

वो मीरा थी...

People say lots of things about Meera Bai, but in reality she was the one who loved Krishna without any expectation and wordly inclinations. Here i have written a poem to show the feelings of meera bai in this poem.


इन्तज़ार बहुत था
उनके आने का ,
पर उम्मीद नहीं.

लेकिन
जिसने नहीं छोडा साथ
कान्हा का,
जिसने हर पल किया
उसको याद ,
वो मीरा थी...

वादे तो सब करते है
साथ जीने- मरने के ,
बिरले होते है जो
नहीं करते बात
साथ रहने की.

लेकिन
दूर होते हुए भी
जिसने
कान्हा से निभाया
वो मीरा थी...

मैं कब कहती हूँ
मिलता है सबको
सब कुछ यहाँ,
जिसने माना
एक कान्हा को
हक़ से अपना,
जो प्यार को
पूजा कहती थी
वो एक मीरा थी...

19 comments:

Unknown said...

hi .......very good poem.....but i think it is not completed and some more to be added.....aur kuch lines mein virodhabhash bhi hai...like intzar to tha par ummed nahi....means kya kabhi intzar bina ummed ke bhi hota hai.....

Anonymous said...

gud....
bt u cn write better...
there is lods of things u shud describe in ur poem abt her love bt u havnt....
any ways,its gud...........

Sanjeet Tripathi said...

क्या बात है!
मुआफी चाहूंगा छत्तीसगढ़ और फ़िर रायपुर से यह ब्लॉग होने के बाद भी मेरी नज़र देर से पहुंची।
शुभकामनाएं

mehek said...

bahut hi sundar

AshishGLC said...

hey first of all thnx for informing :p...poem is good but u need to make some editing...coz it seems lil harsh to me...but it is still gud...

डॉ .अनुराग said...

कब कहती हूँ
मिलता है सबको
सब कुछ यहाँ,

जिसने माना
एक कान्हा को
हक़ से अपना,
जो प्यार को
पूजा कहती थी
वो एक मीरा थी...


achhi panktiya hai...sari kavita ka saar yahi hai...

Sanjeev said...

Nice i like it,
I m not good at poems, but u have written it well, each work is explaining her feeling and depth of her loev for krishna. NIce keep it up.

श्री. स्वर्गवासी................ said...

'इन्तज़ार बहुत था
उनके आने का
पर उम्मीद नहीं.'
............बहुत खूब , आगे भी लिखते रहिये !
प्यार , मुहब्बत, इश्क और लव की परिभाषा आप कि कविताओं से झलकती हैं....!!

Piyush k Mishra said...

theek hai.bas.
intezar tha..ummeed nahin...koi matlab hi nahin is baat ka.

aur agar bat meerabai ki ho rahi hai to ummeed hi nahin wahan to Vishwaas tha.

डाॅ रामजी गिरि said...

"इन्तज़ार बहुत था
उनके आने का ,
पर उम्मीद नहीं...."

आपकी यह रचना बहुत कम लफ्जों में प्रेम के विलक्षण -विहंगम परिदृश्य से रू-बी-रू कराती है...
मीरा के अलौकिक , अनूठे, अनोखे प्रेम-निवेदन को समझने के लिए मन की जिस लौ का आलोक चाहिए , वह तो आज के FAST-DATING की युग -चेतना में कहीं विलुप्त हो गया है ...

इस खूबसूरत महति प्रयास के लिए बहुत -बहुत साधुवाद...

SUMIT JINDAL said...

"apane apane hausale apanii talab kii baat hai,

chun liyaa hamne(meera) unhein(krishan ji) saaraa jahaan rehne diyaa"

art said...

prem shashwat ko samajh liya.....ye hi badi baat hai....bas ab aage badhti raho...yehi shubhkamna hai meri....

tarun said...
This comment has been removed by the author.
tarun said...

ahut sundar,
wo meera thi,

jiske pyar mein wo kashish hai
jisne radha ko deewana kiya
jisne meera ko pagal kiya
aur jo aaj bhi
kahi na kahi
har ek bala ke dil mein
ek radha ek meera ko jagata hai
jo har pyar mein hai
jo har bandhan ko nibhata hai
wo kanha hai
wo kanha hai

Girish Kumar Billore said...

चलो जन्म दिन की बधाई ब्लॉग पर ही दे दूँ
"जन्म दिन की अशेष शुभ-कामनाएं "

ilesh said...

nice thoughts....

संत शर्मा said...

वादे तो सब करते है
साथ जीने- मरने के ,
बिरले होते है जो
नहीं करते बात
साथ रहने की.
वो मीरा थी...

मैं कब कहती हूँ
मिलता है सबको
सब कुछ यहाँ,
जिसने माना
एक कान्हा को
हक़ से अपना,
जो प्यार को
पूजा कहती थी
वो एक मीरा थी...

Good thought & a good poem also.

Unknown said...

hi...nice poem..really very nice..best of luck for your next poem..

Unknown said...

hi...nice poem..really very nice..best of luck for your next poem..