इन्तज़ार बहुत था
उनके आने का ,
पर उम्मीद नहीं.
लेकिन
जिसने नहीं छोडा साथ
कान्हा का,
जिसने हर पल किया
उसको याद ,
वो मीरा थी...
साथ जीने- मरने के ,
बिरले होते है जो
नहीं करते बात
साथ रहने की.
लेकिन
नहीं करते बात
साथ रहने की.
लेकिन
दूर होते हुए भी
जिसनेकान्हा से निभाया
वो मीरा थी...
मैं कब कहती हूँ
मिलता है सबको
सब कुछ यहाँ,
जिसने मानामैं कब कहती हूँ
मिलता है सबको
सब कुछ यहाँ,
एक कान्हा को
हक़ से अपना,
जो प्यार को
पूजा कहती थी
वो एक मीरा थी...
19 comments:
hi .......very good poem.....but i think it is not completed and some more to be added.....aur kuch lines mein virodhabhash bhi hai...like intzar to tha par ummed nahi....means kya kabhi intzar bina ummed ke bhi hota hai.....
gud....
bt u cn write better...
there is lods of things u shud describe in ur poem abt her love bt u havnt....
any ways,its gud...........
क्या बात है!
मुआफी चाहूंगा छत्तीसगढ़ और फ़िर रायपुर से यह ब्लॉग होने के बाद भी मेरी नज़र देर से पहुंची।
शुभकामनाएं
bahut hi sundar
hey first of all thnx for informing :p...poem is good but u need to make some editing...coz it seems lil harsh to me...but it is still gud...
कब कहती हूँ
मिलता है सबको
सब कुछ यहाँ,
जिसने माना
एक कान्हा को
हक़ से अपना,
जो प्यार को
पूजा कहती थी
वो एक मीरा थी...
achhi panktiya hai...sari kavita ka saar yahi hai...
Nice i like it,
I m not good at poems, but u have written it well, each work is explaining her feeling and depth of her loev for krishna. NIce keep it up.
'इन्तज़ार बहुत था
उनके आने का
पर उम्मीद नहीं.'
............बहुत खूब , आगे भी लिखते रहिये !
प्यार , मुहब्बत, इश्क और लव की परिभाषा आप कि कविताओं से झलकती हैं....!!
theek hai.bas.
intezar tha..ummeed nahin...koi matlab hi nahin is baat ka.
aur agar bat meerabai ki ho rahi hai to ummeed hi nahin wahan to Vishwaas tha.
"इन्तज़ार बहुत था
उनके आने का ,
पर उम्मीद नहीं...."
आपकी यह रचना बहुत कम लफ्जों में प्रेम के विलक्षण -विहंगम परिदृश्य से रू-बी-रू कराती है...
मीरा के अलौकिक , अनूठे, अनोखे प्रेम-निवेदन को समझने के लिए मन की जिस लौ का आलोक चाहिए , वह तो आज के FAST-DATING की युग -चेतना में कहीं विलुप्त हो गया है ...
इस खूबसूरत महति प्रयास के लिए बहुत -बहुत साधुवाद...
"apane apane hausale apanii talab kii baat hai,
chun liyaa hamne(meera) unhein(krishan ji) saaraa jahaan rehne diyaa"
prem shashwat ko samajh liya.....ye hi badi baat hai....bas ab aage badhti raho...yehi shubhkamna hai meri....
ahut sundar,
wo meera thi,
jiske pyar mein wo kashish hai
jisne radha ko deewana kiya
jisne meera ko pagal kiya
aur jo aaj bhi
kahi na kahi
har ek bala ke dil mein
ek radha ek meera ko jagata hai
jo har pyar mein hai
jo har bandhan ko nibhata hai
wo kanha hai
wo kanha hai
चलो जन्म दिन की बधाई ब्लॉग पर ही दे दूँ
"जन्म दिन की अशेष शुभ-कामनाएं "
nice thoughts....
वादे तो सब करते है
साथ जीने- मरने के ,
बिरले होते है जो
नहीं करते बात
साथ रहने की.
वो मीरा थी...
मैं कब कहती हूँ
मिलता है सबको
सब कुछ यहाँ,
जिसने माना
एक कान्हा को
हक़ से अपना,
जो प्यार को
पूजा कहती थी
वो एक मीरा थी...
Good thought & a good poem also.
hi...nice poem..really very nice..best of luck for your next poem..
hi...nice poem..really very nice..best of luck for your next poem..
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