यादें
ख़ुशी और गम में
कहाँ फ़र्क कर पाती है.
जब तुम्हे यादों में पाती हूँ
दुनिया भूल जाती हूँ.
संग तुम्हारे हजारों सपने
आँखों में सजा लेती हूँ
तुम्हारे संग बिताया
हर एक लम्हा
यादों में बसा है
जैसे साँसों में बसा
हो जीवन...
तुमसे मिलकर
जाना मैंने क्या होता है
दिलों का धडकना
समझा मैंने किसे
कहते है समर्पण.
आभारी हूँ तुम्हारी
जताया अपना प्यार
बनाया मुझे अपना
और पनपने दिया हमारी
यादों का संसार...
नीलिमा
Tuesday, April 7, 2009
Tuesday, January 6, 2009
मेरी उड़ान
सोचती हूँ
मैं भी
उड़कर देखूं
उस नील गगन में
उम्मीद के पंख
लगाकर
सुनहरे सपने
आँखों में सजाये
क्या तुम
दोगे साथ मेरा
उस उड़ान में....
मैं भी
उड़कर देखूं
उस नील गगन में
उम्मीद के पंख
लगाकर
सुनहरे सपने
आँखों में सजाये
क्या तुम
दोगे साथ मेरा
उस उड़ान में....
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