Thursday, June 24, 2010

जीवन

समय बीतता जाता है,
लोग बदलते रहते है,
नहीं बदलता,
वो जीवन है.

खुशियाँ और गम
दो पहलु है
जीवन रुपी सिक्के के.

विचलित ना हो
समय के फेर से
ऐसा नहीं मानव
इस धरा पर.

फिर भी
जिसने ढाल लिया
अपने को
जीने की कला में,
उसका जीवन ही जीवन है.

नीलिमा