Thursday, June 24, 2010

जीवन

समय बीतता जाता है,
लोग बदलते रहते है,
नहीं बदलता,
वो जीवन है.

खुशियाँ और गम
दो पहलु है
जीवन रुपी सिक्के के.

विचलित ना हो
समय के फेर से
ऐसा नहीं मानव
इस धरा पर.

फिर भी
जिसने ढाल लिया
अपने को
जीने की कला में,
उसका जीवन ही जीवन है.

नीलिमा

7 comments:

कडुवासच said...

...sundar rachanaa !!!

संत शर्मा said...

जिसने ढाल लिया
अपने को
जीने की कला में,
उसका जीवन ही जीवन है

Sach hai, Sundar kavita.

Unknown said...

bahut hi achchi rachna hai..

डाॅ रामजी गिरि said...

NICE PHILOSOPHY....

ONE OF MANY WAYS OF LIFE...

GARIMA said...

very true , ideal way to live life...change is the only constant phenomenon.... :) loved it

sumansourabh.blogspot.com said...

समय बीतता जाता है,
लोग बदलते रहते है,
नहीं बदलता,
वो जीवन है.
सुन्दर अभिब्यक्ति है
बधाई
मै डेल्ही से भोपाल आ गया हूँ
malviya.sourabh@gmail.com

bilaspur property market said...

सुन्दर अभिब्यक्ति
....आपको भी नव वर्ष 2011 की अनेक शुभकामनाएं