Monday, February 11, 2008

अधूरे ख्वाब के खातिर...

उनसे मिलना और क्षण मे बिछड़ना,
बाते करना और चुप हो जाना,
गले लगाकर दुनिया से दूर हो जाना,
बनाकर अपना खुद से पराया हो जाना,
ख्वाब संग देखकर अकेले निभाना,
अधूरे ख्वाबों की खातिर दिल का मचलना,
उस घरौंदें के बारे मे सोचना,
और रेत-सा बिखरते देखना,
नसीब यही है मेरे प्यार का,
साथ रहते हुए भी
मिलकर कभी ना मिलना…

2 comments:

Unknown said...

hey neelima tumne likhna kab start kiya??
bt i must say gr8 job.. keep writing good things..
bt ek baat batoa itne DARD se bhari poems kyon likhi hai??
first comment 4m my side..

Neelima G said...

"गले लगाकर दुनिया से दूर हो जाना,
बनाकर अपना खुद से पराया हो जाना"

क्या अंदाज़ है दिल की हालात बयां करने का..
शुभान-अल्लाह.....