सुंदर काया, चंचल आभा,
भोली सूरत, नटखट मन ,
तुम हो एक ऐसी चिड़िया,
बोली जिसकी शहद-सी मीठी,
प्रतिबिंब अपने पिता का,
पुलिंदा माँ के सपनो का,
सबकी उम्मीदों का सुनहरा अंबर,
तुम हो 'इवा' एक अदभुत किरण.
सपने हज़ार आँखों मे,
समाये रहते दिन रात,
जीतने की चाहत,
शिखर पे हर क्षेत्र मे,
बड़े है ख्वाब तुम्हारे,
और उफनता जुनून दिल मे,
जाना है यह मैने
तुम हो एक अदभुत किरण,
जिसको चोकलेट–आइसक्रीम बहुत है भाती.
खुशिया रहे सदा आँगन तुम्हारे,
अपने सारे रहे सदा संग तुम्हारे,
आरजू यही है मेरी आज तुम्हारे लिए…
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4 comments:
सुंदर काया, चंचल आभा,
भोली सूरत, नटखट मन ,
तुम हो एक ऐसी चिड़िया,
बोली जिसकी शहद-सी मीठी,
ये तो बहुत ही प्यारी कविता लिख डाली है ,नीलिमा जी.
I never knew this "Poet Nilima"
good...keep up
nice one... successfully read the poem without making mistakes..
janani
yOUR POEMS ARE REALLY NICE :)
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